रस्मोरिवाज चलते रहेंगे
हम तुम मिलते रहेंगे
शायद कभी एक ना हो सकेंगे ।
वफा ना तुम में ना मुझ में
जिस्म फिर भी मिलते रहेंगे।
तलब हुई तो किया
प्यार वफ़ा का इकरार
वरना एक झटके में छोड़ चले
हो गए कहीं और गिरफ्तार।
हम उनको वह हमको
अपना ना कह सकेंगे
चाहे जितना जता लें प्यार ,
एक दूसरे पर शक ही करेंगे ।
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बिलकुल सही कहा……और बहुत हि बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया है💐😊
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Thanks Ashish.
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My pleasure✨
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आजकल का प्रेम शायद ऐसा ही है जहाँ समर्पण कम जरूरतें ज्यादा है।धोखेबाज कहना सिर्फ बहाना है।हमें भी किसी और के पास जाना है।शायद आधुनिक प्यार इसी को कहते हैं।
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जी हां सर ! यही सच है।🙏🙏
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True
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Thank you very much.
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